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    कारण और श्रवण बाधिता की रोकथाम

    श्रवण बाधित होने के कारण

    जन्म से पहले:

    • बचपन से बधिरता का पारिवारिक इतिहास – परिवार के सदस्यों में बधिरता।
    • निकट संबंधों में विवाह – जैसे चाचा-भतीजी, फर्स्ट कज़िन इत्यादि।
    • ब्लड ग्रुप की जटिलताएँ या आर.एच. असंगति।
    • गर्भावस्था के दौरान संक्रामक रोग (जैसे सिफलिस, जर्मन मीज़ल्स/रूबेला, कण्ठमाला आदि)।
    • गर्भवती महिला का अत्यंत खराब शारीरिक स्वास्थ्य।
    • गर्भावस्था में अत्यधिक शराब या निकोटीन का सेवन।
    • ओटोटॉक्सिक दवाओं का सेवन (जैसे जेन्टामाइसिन, एमिकासिन, कुनैन आदि)।
    • एक्स-रे का अत्यधिक संपर्क।

    जन्म के समय:

    • जन्म श्वासावरोध (ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चे का नीला पड़ना)।
    • जन्म के समय कमजोर या देर से रोना।
    • जन्म के समय वजन 1200 ग्राम से कम।

    जन्म के बाद:

    • असमय जन्म (प्रीमेच्योरिटी)।
    • कान, नाक, चेहरे एवं गले की विकृतियाँ।
    • जन्म के तुरंत बाद पीलिया, तेज बुखार या दौरे।
    • संक्रामक रोग (जैसे काली खांसी, कण्ठमाला, खसरा, सिफलिस, मेनिन्जाइटिस, वायरल फीवर, टी.बी.)
    • लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स का उपयोग (विशेषकर ओटोटॉक्सिक दवाएँ)।
    • सिर या कान की चोट (दुर्घटना आदि)।
    • लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहना, उच्च रक्तचाप, मधुमेह।
    • बढ़ती आयु।
    • श्रवण तंत्रिका पर ट्यूमर।
    • मध्य कान के संक्रमण, कान से स्राव आदि।

    श्रवण बाधितता की रोकथाम

    • निकट संबंधों में विवाह से बचें।
    • किशोरियों और गर्भधारण की आयु वाली महिलाओं का रूबेला टीकाकरण कराएं।
    • गर्भवती महिला का स्वास्थ्य अच्छा रखें और नियमित जांच कराएं।
    • गर्भवती महिला को संक्रामक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों से दूर रखें।
    • डिलीवरी प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में कराएं।
    • बच्चे के सभी टीके समय पर लगवाएं।
    • कान की स्वच्छता बनाए रखें:
      • कान को साफ रखें, धूल, पानी, मैल आदि से बचाएं।
      • कान को माचिस, हेयरपिन, पेंसिल आदि नुकीली चीजों से साफ न करें।
      • कान पर थप्पड़ या तेज प्रहार से बचें, इससे स्थायी हानि हो सकती है।
      • छोटे बच्चों पर ध्यान रखें कि वे दाने, मोती आदि छोटे वस्तुएँ कान में न डालें।
      • कान में तेल या अन्य तरल पदार्थ न डालें।
      • गंदे पानी में तैराकी न करें; तैरते समय कान में कॉटन लगाएँ।
      • सड़क किनारे झोलाछाप से कान साफ न कराएँ; डॉक्टर से ही सफाई कराएँ।
      • कान बहने वाले व्यक्ति के तौलिये या तकिया कवर का उपयोग न करें।
      • बच्चे को दूध पिलाते समय उसका सिर ऊँचा रखें; दूध कान में जा सकता है।
      • तेज आवाजों से दूरी बनाए रखें।
      • डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएँ न लें।
      • शोर वाले स्थानों में कान सुरक्षा उपकरण का उपयोग करें।

    कई कारणों को पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता, लेकिन इनके बारे में जानकारी होने से ‘जोखिम-ग्रस्त’ व्यक्तियों की पहचान की जा सकती है। ऐसे व्यक्तियों का विस्तृत श्रवण मूल्यांकन जल्द किया जाना चाहिए ताकि पुनर्वास प्रक्रिया समय पर शुरू हो सके और व्यक्ति के भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सके।