क्षेत्रीय कार्यालय, नोएडा
क्षेत्रीय केंद्र – नोएडा
अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान
क्षेत्रीय केंद्र, नोएडा के बारे में
अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण विकलांगता संस्थान (दिव्यांगजन), क्षेत्रीय केंद्र, नोएडा की स्थापना 1986 में अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण विकलांगता संस्थान (दिव्यांगजन), मुंबई के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में की गई थी। यह भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है। इस केंद्र की स्थापना सबसे पहले कस्तूरबा निकेतन, लाजपत नगर II, नई दिल्ली में की गई थी और इसे अप्रैल, 2015 में नोएडा में स्थानांतरित कर दिया गया। 07.09.2016 को संस्थान का नाम बदलकर अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांगता संस्थान से अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण विकलांगता संस्थान (दिव्यांगजन), मुंबई कर दिया गया। अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण विकलांगता संस्थान (दिव्यांगजन), उत्तरी क्षेत्रीय केंद्र, नोएडा का नाम भी 21.10.2017 को आयोजित अ.या.जं.रा.वा.श्र.दि. की 118वीं कार्यकारी समिति की बैठक में बदलकर अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण विकलांगता संस्थान (दिव्यांगजन), क्षेत्रीय केंद्र, नोएडा कर दिया गया है। इस केंद्र के उद्देश्य जनशक्ति विकास, नैदानिक सेवाएँ, शैक्षिक कार्यक्रम, सामुदायिक कार्यक्रम और अनुसंधान हैं। केंद्र ने डिप्लोमा कार्यक्रम के साथ शुरुआत की और वर्तमान में ऑडियोलॉजी और स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी, श्रवण बाधित व्यक्तियों की शिक्षा के क्षेत्र में डिप्लोमा और स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान कर रहा है। डिप्लोमा और स्नातक पाठ्यक्रम भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।
नैदानिक सेवाएँ
संस्थान श्रवण मूल्यांकन और हस्तक्षेप, भाषण और भाषा मूल्यांकन और हस्तक्षेप, श्रवण बाधित व्यक्तियों के शैक्षिक मूल्यांकन और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है। केंद्र सोमवार से शुक्रवार सुबह 09.00 बजे से शाम 05.30 बजे तक और शनिवार को सुबह 09.00 बजे से दोपहर 01.00 बजे तक (रविवार और राजपत्रित अवकाश पर बंद) रियायती दर पर नैदानिक सेवाएं प्रदान करता है।
श्रवण-विज्ञान इकाई
श्रवण-विज्ञान (Audiology) विज्ञान की वह शाखा है जो श्रवण, संतुलन तथा उनसे संबंधित विकारों के अध्ययन से संबंधित होती है। श्रवण-विज्ञानी (Audiologist) एक पंजीकृत स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर होता है, जो बच्चों एवं वयस्कों में श्रवण एवं संतुलन संबंधी विकारों की जांच, निदान एवं प्रबंधन में विशेषज्ञ होता है। श्रवण-विज्ञानी श्रवण एवं संतुलन क्रियाओं के मूल्यांकन हेतु विभिन्न उपकरणों एवं तकनीकों का उपयोग करते हैं, जैसे कि:- प्योर टोन ऑडियोमीटर, एडमिटेंस ऑडियोमेट्री, स्पीच ऑडियोमेट्री,ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पॉन्स, ओटो-अकौस्टिक एमिशन, ऑडिटरी स्टेडी स्टेट रिस्पॉन्स श्रवण मूल्यांकन के उपरांत, कई बच्चों एवं वयस्कों को श्रवण यंत्र, कॉक्लियर इम्प्लांट अथवा सहायक श्रवण उपकरण की आवश्यकता हो सकती है, जिन्हें श्रवण-विज्ञानी द्वारा अनुशंसित किया जाता है। श्रवण यंत्र / कॉक्लियर इम्प्लांट के नुस्ख़े और फिटिंग के बाद, श्रवण दिव्यांग व्यक्ति को श्रवण प्रशिक्षण (Auditory Training) दिया जाता है, ताकि वे अपने श्रवण क्षमता का अधिकतम उपयोग करते हुए वाक् एवं भाषा कौशल का विकास कर सकें।
इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं:
- श्रवण दोष की जांच एवं निदान ।
- श्रवण यंत्र का नुस्ख़ा एवं फिटिंग ।
- श्रवण दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों एवं श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों को परामर्श एवं मार्गदर्शन ।
- कॉक्लियर इम्प्लांट के बाद पुनर्वास सेवाएँ ।
- संदर्भित एवं अनुवर्ती सेवाएँ ।
सहायता उपकरण और यंत्रों की खरीद/फिटिंग हेतु दिव्यांग व्यक्तियों को सहायता (एडीआईपी) योजना के अंतर्गत श्रवण यंत्र प्राप्त करने की पात्रता:
– किसी भी आयु का भारतीय नागरिक।
– 40% दिव्यांगता का प्रमाण पत्र धारक।
– सभी स्रोतों से मासिक आय ₹20,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिए।
– जिसे पिछले 3 वर्षों में किसी भी स्रोत से इसी उद्देश्य के लिए सहायता प्राप्त नहीं हुई हो। हालांकि, 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यह सीमा 1 वर्ष होगी।
वाक् भाषा विकृति विज्ञान इकाई
स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट विभिन्न तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों में वाक्, आवाज, भाषा और निगलने से संबंधित विकारों का मूल्यांकन एवं प्रबंधन करते हैं।
इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं:
o श्रवण, बौद्धिक एवं विकासात्मक विकारों से ग्रस्त बच्चों की वाक् और भाषा का मूल्यांकन एवं प्रबंधन।
o हकलाहट एवं अत्यधिक तेजी से बोलने (क्लटरिंग) संबंधी विकारों का मूल्यांकन एवं प्रबंधन।
o आवाज़ संबंधी विकार, अफेज़िया, डिसआर्थ्रिया एवं निगलने में कठिनाई (स्वॉलोइंग डिसऑर्डर) का मूल्यांकन एवं प्रबंधन।
o कॉक्लियर इम्प्लांट से पूर्व वाक् एवं भाषा कौशल का मूल्यांकन।
o कॉक्लियर इम्प्लांट के पश्चात हस्तक्षेप एवं प्रशिक्षण।
o अभिभावकों या व्यक्ति को परामर्श एवं मार्गदर्शन।
शिक्षा इकाई
शिक्षा किसी व्यक्ति, समाज और अंततः राष्ट्र के भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं –
o श्रवण दिव्यांग बच्चों का शैक्षणिक मूल्यांकन।
o शीघ्र हस्तक्षेप ।
o विद्यालयों में प्रवेश की व्यवस्था।
o मुख्यधारा के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षण (रिमेडियल टीचिंग)।
o अभिभावकों के लिए मार्गदर्शन एवं संदर्भ सेवा।
मनोविज्ञान इकाई
यह स्वीकार किया गया है कि वाक्, भाषा और श्रवण संबंधी विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों में मनोसामाजिक क्षेत्र में समस्याएँ देखी जाती हैं। ये समस्याएँ कभी कारण, कभी सहवर्ती समस्या या कभी इनके मुख्य वाक्, भाषा एवं श्रवण विकारों के प्रभाव के रूप में सामने आती हैं। मनोसामाजिक पहलुओं से जुड़ी इन समस्याओं को मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप और पुनर्वास के माध्यम से कम किया जा सकता है।
इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं:
– मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन।
– मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं मार्गदर्शन।
– मनोचिकित्सा, व्यवहार चिकित्सा तथा खेल चिकित्सा।
पुस्तकालय इकाई
क्षेत्रीय केंद्र, नोएडा के पुस्तकालय में 2295 पुस्तकें उपलब्ध हैं। संस्थान ने 18 बहु-स्थलीय ऑनलाइन ई-जर्नल की सदस्यता ली है। कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए इंटरनेट एवं वाई-फाई सुविधा उपलब्ध है। पुस्तकालय वातानुकूलित है तथा इसमें बीस व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है।.
आउटरिच कार्यक्रम
संस्थान वाक्, भाषा और श्रवण दिव्यांगताओं की पहचान एवं प्रबंधन हेतु शिविरों का आयोजन करता है तथा जरूरतमंद लोगों को श्रवण यंत्र प्रदान करता है।
राष्ट्रीय दिव्यांग सूचना हेल्पलाइन सेवा (एनडीआईएचएस)
केंद्र का एक उद्देश्य दिव्यांगजनों के लिए उपलब्ध सेवाओं, सुविधाओं और रियायतों से संबंधित जानकारी का प्रसार करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु एक विशेष परियोजना के अंतर्गत टेलीफोन के माध्यम से सभी प्रकार की दिव्यांगता से संबंधित जानकारी प्रदान की जा रही है। अ.या.जं.रा.वा.श्र.दि. संस्थान इस अनूठी परियोजना एनडीआईएचएस के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में, विशेष रूप से दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों में यह सेवा प्रदान कर रहा है। इन राज्यों की एनडीआईएचएस सेवा अ.या.जं.रा.वा.श्र.दि. संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, नोएडा में स्थित है और यह आईवीआरएस के माध्यम से 24×7 उपलब्ध है। संस्थान के सभी कार्य दिवसों में कॉल अटेंडेंट की सेवा भी उपलब्ध रहती है। ईमेल या एसएमएस के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। दिव्यांगता संबंधी जानकारी अंग्रेज़ी, हिंदी अथवा क्षेत्रीय भाषाओं में प्राप्त करने हेतु निम्नलिखित नंबरों पर कॉल किया जा सकता है:
14456 (टोल फ्री)
0120-2500920/921/923
ईमेल: dilnihh[dot]delhi[at]gmail[dot]com
संपर्क करें
पता:
अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान (दिव्यांगजन), क्षेत्रीय केंद्र,
(दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन)
प्लॉट नं.19, ब्लॉक-एफ, सेक्टर-12, अमलताश मार्ग, नोएडा स्टेडियम गेट नं.6 के सामने, नोएडा – 201 301, उत्तर प्रदेश
फोन: 0120 – 2500474 / 2500484
ईमेल:
ayjnihhnrc[at]gmail[dot]com
प्रशासन, क्षेत्रीय केंद्र: admnrc-nihh[at]nic[dot]in
क्षेत्रीय केंद्र, नोएडा द्वारा संचालित दीर्घावधि पाठ्यक्रमों का विवरण
क्र.सं. | पाठ्यक्रम का नाम | प्रवेश हेतु पात्रता | कुल प्रवेश संख्या | प्रवेश पद्धति | संबद्धता |
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1 | श्रवणविज्ञान और वाक् एवं भाषा विकृति विज्ञान में स्नातक – बीएएसएलपी – चार वर्षीय कोर्स |
सीबीएसई की 10+2 की 12वीं कक्षा या समकक्ष परीक्षा में भौतिकी, रसायन और जीवविज्ञान विषयों में न्यूनतम 50% कुल अंकों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है, बशर्ते कि अभ्यर्थी ने प्रत्येक विषय को अलग-अलग उत्तीर्ण किया हो। साथ ही, अभ्यर्थी ने अर्हता प्राप्त परीक्षा में अंग्रेज़ी (मुख्य वैकल्पिक या फंक्शनल) विषय के रूप में भी उत्तीर्ण किया होना चाहिए। | 25 | जीजीएसआईपीयू द्वारा प्रवेश परीक्षा | गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) |
क्र.सं. | पाठ्यक्रम का नाम | प्रवेश हेतु पात्रता | कुल प्रवेश संख्या | प्रवेश पद्धति | संबद्धता | |
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1 | विशेष शिक्षा में डिप्लोमा (हियरिंग इंपेयरमेंट) -डी.एड.स्पेशल.एड.(एचआई) – दो वर्षीय कोर्स |
किसी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10+2 उत्तीर्ण या इसके समकक्ष न्यूनतम अंक: सामान्य/ओबीसी के लिए 50%, एससी/एसटी/पीएच के लिए 45% | 38 | आरसीआई, नई दिल्ली द्वारा | भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई), नई दिल्ली |
पात्रता मानदंड में संशोधन का प्रस्ताव जीजीएसआईपीयू (GGSIPU) के विचाराधीन है।.
क्र. सं. | नाम | पदनाम | कार्य अनुभव |
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1 | डॉ. रावली माथुर | सहायक निदेशक / रीडर (वाक् और श्रवण) | 13 वर्ष |
2 | श्री शिशिर कुमार यादव | शिक्षा व्याख्याता | 10 वर्ष |
3 | डॉ. अनीशा सिन्हा | व्याख्याता (ऑडियोलॉजी/स्पीच पैथोलॉजी) | 01 वर्ष |
4 | सुश्री रश्मि सिंह | मनोविज्ञानी | 27 वर्ष |
5 | श्री गणेश प्रसाद गुप्ता | कार्यालय अधीक्षक सह लेखाकार (ओएसए) | 0.3 वर्ष |
6 | डॉ. विभा महाजन | एएसएलपी (वाक् और श्रवण) | 30 वर्ष |
7 | श्री अमरकेश महेंद्रू | प्री-स्कूल शिक्षक | 30 वर्ष |
8 | श्री प्रेमचंद | प्रवर श्रेणी लिपिक | 19 वर्ष |
9 | सुश्री सुषमा | अवर श्रेणी लिपिक | 20 वर्ष |
10 | श्री सतप्रकाश | एमटीएस | 30 वर्ष |