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    क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता

    अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान

    क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता परिचय

    अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता की स्थापना वर्ष 1984 में की गई थी। यह अयाजंरावाश्रदि संस्थान,मुंबई का पहला क्षेत्रीय केंद्र है, जो भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत एक प्रमुख स्वायत्त राष्ट्रीय संस्थान है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य वाक् एवं भाषा विकारों के क्षेत्र में कार्य करने वाले पेशेवरों को प्रशिक्षित करना है। अयाजंरावाश्रदि संस्थान,आर.सी.-कोलकाता ने श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों के शिक्षकों के लिए डिप्लोमा स्तरीय पाठ्यक्रम से शुरुआत की और धीरे-धीरे ऑडियोलॉजी एवं वाक् भाषा विकृति विज्ञान, श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा भारतीय सांकेतिक भाषा के क्षेत्र में विभिन्न डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम शुरू किए।

    अयाजंरावाश्रदि संस्थान,आर.सी.-कोलकाता ने अपनी शुरुआत नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द ऑर्थोपेडिकली हैंडीकैप्ड (एन.आई.ओ.एच.), बी.टी. रोड, बोनहुगली, कोलकाता के एक छोटे परिसर से की थी। आज यह संस्थान अपने दो चार मंजिला भवनों में स्थित है, जिसमें नैदानिक, शैक्षणिक, प्रशासनिक, तथा छात्रों के लिए आवास और भोजन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। संस्थान में श्रवण, वाक् एवं भाषा विकारों की विभिन्न नैदानिक जांचों के लिए तथा श्रवण, वाक् एवं भाषा दिव्यांग व्यक्तियों की व्यवहारिक, व्यावसायिक अभिरुचि और शैक्षणिक मूल्यांकन हेतु अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित सुविधाएं उपलब्ध हैं। सभी सेवाएं रियायती दरों पर या निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। संस्थान कार्यदिवसों (सोमवार से शुक्रवार) में खुला रहता है। संस्थान में व्यावसायिक परामर्श की उपयुक्त सुविधाएं हैं ताकि श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों को अर्थपूर्ण कार्यों में संलग्न होने हेतु सशक्त किया जा सके। यह संस्थान पुनर्वास की समग्र दृष्टिकोण से कार्य करता है।

    महिला छात्रावास / सांकेतिक भाषा कक्षा / दिव्यांगता सूचना सेवा / श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों हेतु कंप्यूटर अनुप्रयोग पाठ्यक्रम / कक्षा

    प्रारंभिक हस्तक्षेप, पूर्व-प्राथमिक शिक्षा से लेकर व्यावसायिक मार्गदर्शन तक की सेवाएं प्रदान की जाती हैं। जिन लोगों को विलंब  से हस्तक्षेप मिला है या जो संवाद हेतु सांकेतिक भाषा को विकल्प के रूप में अपनाना चाहते हैं, उनके लाभ के लिए संस्थान विभिन्न स्तरों पर भारतीय सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है, जिसमें एक वर्षीय   भारतीय सांकेतिक भाषा दुभाषिया डिप्लोमा पाठ्यक्रम   भी शामिल है।

    संस्थान के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपलब्ध सेवाओं और रियायतों की जानकारी प्रदान करना। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु एक अनूठी परियोजना के अंतर्गत सभी प्रकार की दिव्यांगता से संबंधित जानकारी   टेलीफोन   के माध्यम से प्रदान की जा रही है। संस्थान ने देश के विभिन्न भागों में, जिनमें   पश्चिम बंगाल, बिहार और सिक्किम राज्य शामिल हैं, राष्ट्रीय दिव्‍यांगता सूचना हेल्पलाइन सेवा (NDIHS)   प्रारंभ की है।

    हमारे समाज की शक्ति दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने में है। संस्थान, निदान, उपचारात्मक एवं पुनर्वास सेवाएं प्रदान करके श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों को देश के जिम्मेदार और योगदानकारी नागरिक बनने में सक्षम बनाता है।

     इकाइयाँ   

    श्रवण-विज्ञान इकाई (ऑडियोलॉजी यूनिट)

    प्रकृति ने हमें सुनने के लिए दो कान दिए हैं। यह आम धारणा कि सुनने के लिए एक ही कान पर्याप्त है, गलत साबित हुई है। अनुसंधानों से यह स्पष्ट हुआ है कि दोनों कानों से सुनना (बाइन्यूरल हियरिंग) बच्चों में आयु के अनुरूप वाक् एवं भाषा विकास तथा सामाजिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। मनुष्य का कान 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हर्ट्ज़ तक की ध्वनि आवृत्तियों पर प्रतिक्रिया कर सकता है, और 120 डेसिबल या उससे अधिक की ध्वनि कान में असहजता उत्पन्न कर सकती है।

    श्रवण-विज्ञान (ऑडियोलॉजी)   वह क्षेत्र है जिसमें व्यक्ति की श्रवण संवेदनशीलता को मापा जाता है और श्रवण हानि से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए ध्वनि प्रवर्धन यंत्र (हियरिंग एड) और ईयर मोल्ड जैसी पुनर्वास प्रक्रियाएं प्रदान की जाती हैं। आधुनिक ऑडियोलॉजी ने यह संभव बना दिया है कि न केवल बड़े बच्चों बल्कि नवजात शिशुओं में भी श्रवण हानि की पहचान की जा सके। जीवन के पहले तीन महीनों के भीतर बच्चों में श्रवण विकारों की पहचान संभव है और यदि पहले छह महीनों के भीतर हस्तक्षेप शुरू हो जाए, तो वाक् संप्रेषण के विकास में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।

    ऑडियोलॉजिस्ट   विभिन्न उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करते हैं जैसे –

    प्योर टोन ऑडियोमीटर, एडमिटेंस ऑडियोमेट्री, स्पीच ऑडियोमेट्री, ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पॉन्स (एबीआर) परीक्षण, ओटोएकॉस्टिक एमिशन (ओएई) मापन, तथा ऑडिटरी स्टेडी स्टेट रिस्पॉन्स (एएसएसआर)। ये सभी उपकरण बच्चों और वयस्कों की श्रवण जांच के लिए प्रयुक्त होते हैं।

    व्यवहारिक और वस्तुनिष्ठ (objective) दोनों प्रकार की श्रवण जांचों से श्रवण हानि की पुष्टि होती है। जिन बच्चों या वयस्कों में अपूरणीय श्रवण हानि पाई जाती है, उन्हें ध्वनि प्रवर्धन यंत्र लगाए जाते हैं। उचित श्रवण प्रशिक्षण से हियरिंग एड का अधिकतम लाभ प्राप्त होता है और संप्रेषण कौशल के विकास में सहायता मिलती है।

     इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं

    o श्रवण दोष का मूल्यांकन और निदान।

    o चिकित्सा परामर्श और मार्गदर्शन।

    o श्रवण यंत्रों और कान के सांचों का चयन और फिटिंग। माता-पिता का मार्गदर्शन और परामर्श।

    o रेफरल और अनुवर्ती सेवाएँ।

    o कोक्लीयर प्रत्यारोपण के बाद पुनर्वास।

    वाक्-भाषा विकृति विज्ञान इकाई (स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी यूनिट)

    मौखिक संप्रेषण (वर्बल कम्युनिकेशन) मनुष्यों की एक विशिष्ट विशेषता है। प्रायः हम बोलकर संवाद करते हैं। वाक् और भाषा कौशलों के विकास के लिए सुनना अत्यंत आवश्यक है। श्रवण दिव्यांग बच्चे के लिए बोली जाने वाली भाषा का विकास कठिन हो सकता है।   वाक् और भाषा चिकित्सा (स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपी)   वाक्-भाषा विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों को सामान्य या लगभग सामान्य भाषा और वाक् विकास प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है।

    बहरापन (श्रवण दिव्यांगता) के अतिरिक्त, वाक् और भाषा विकारों के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। ये विकार   सेरेब्रल पाल्सी  ,   बौद्धिक मंदता (मेंटल रिटार्डेशन)   और   ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकारों   जैसी स्थितियों में देखे जाते हैं। कुछ मामलों में वाक् विकार गलत अधिग्रहण (फॉल्टी लर्निंग) या वाक् अंगों (speech organs) में किसी दोष के कारण उत्पन्न होते हैं।

    स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट   आधुनिक उपकरणों और तकनीकों जैसे कंप्यूटर आधारित निदान और उपचार सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं। ये विशेषज्ञ   वाक् की कार्यप्रणाली, स्वर के मापदंड   और   लय (rhythm)   का मूल्यांकन एयरोफोन, नेजोमीटर, लैरिंजियल एंडोस्कोप तथा     डॉ. स्पीच जैसे उपकरणों से करते हैं। अयाजंरावाश्रदिसं ईआरसी की यह इकाई वाक्-भाषा विकारों के निदान और उपचार हेतु अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित है।

    श्रवण दिव्यांगता के अतिरिक्त अन्य कारणों से वाक्-भाषा विकार से पीड़ित बच्चे भी इस इकाई की सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।   हकलाना  ,   अटक-अटक कर बोलना  ,   स्वर दोष  , या   उच्चारण त्रुटियों   से ग्रस्त बच्चे इस इकाई में उपचार हेतु आ सकते हैं।   सेरेब्रल पाल्सी  ,   ऑटिज़्म  ,   बौद्धिक मंदता   आदि कारणों से उत्पन्न वाक् विकारों से ग्रस्त बच्चे भी इस इकाई की   स्पीच थेरेपी क्लिनिक   में उपचार प्राप्त कर सकते हैं।

    मस्तिष्क की चोट या आघात (ट्रॉमा)   आदि कारणों से   संचार विकार   से ग्रस्त वयस्क भी इस वाक्-भाषा विकृति इकाई की सेवाओं का लाभ ले सकते हैं।

     इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं

    o वाक् और भाषा दुर्बलता का मूल्यांकन और निदान

    o वाक् और भाषा चिकित्सा

    o माता-पिता का मार्गदर्शन और परामर्श

    o संदर्भित और अनुवर्ती सेवाएँ

    o कोक्लीयर प्रत्यारोपण के बाद पुनर्वास।

    शैक्षिक इकाई (Education Unit)

    अयाजंरावाश्रदि संस्थान, ईआरसी  उन बच्चों के लिए शैक्षिक सेवाएँ प्रदान करता है जिन्हें मौखिक संप्रेषण (verbal communication) के विकास में कठिनाई होती है। श्रवण यंत्र लगाने के बाद यदि बच्चों में शीघ्र उद्दीपन (early stimulation) किया जाए, तो वे पर्याप्त शब्दावली और विद्यालय जाने की पूर्व तैयारी (school readiness) विकसित कर सकते हैं। संस्थान में श्रवण दिव्यांग बच्चों के लिए   पैरेंट्स-इन्फैंट प्रोग्राम (पीआईपी)   तथा   पूर्व-प्राथमिक विद्यालय (प्री-स्कूल )   जैसी प्रारंभिक उद्दीपन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

    यह अपेक्षित है कि नियमित प्रशिक्षण और वाक्-भाषा चिकित्सा के साथ-साथ, छोटे बच्चे स्वयं को नियमित विद्यालयों में प्रवेश के लिए पर्याप्त रूप से तैयार पाएँ। श्रवण दिव्यांग बच्चों को   पढ़ने-लिखने के कौशल   और   संवेदी समाकलन (sensory integration)   का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।   श्रवण प्रशिक्षण   और   साक्षरता प्रशिक्षण   व्यक्तिगत स्तर और समूहों में दी जाने वाली शैक्षिक सेवाओं का एक अभिन्न अंग है।

    वर्तमान समय में, समावेशी शिक्षा (inclusive education) की नीति के अंतर्गत श्रवण बाधित बच्चों को भी समान अवसर प्रदान किया जा रहा है।   अयाजंरावाश्रदि संस्थान,ईआरसी, कोलकाता में प्रतिमाह आयोजित होने वाली अभिभावक बैठकों में बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं, उन्हें पूर्ण करने के उपायों एवं संसाधनों की जानकारी दी जाती है तथा अभिभावकों को प्रशिक्षित किया जाता है। नियमित शैक्षिक मार्गदर्शन से श्रवण दिव्यांग बच्चे उच्च शिक्षा की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

    भारत सरकार ने   दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में 3% सीटों का आरक्षण   निर्धारित किया है। श्रवण दिव्यांगता की   शीघ्र पहचान   और   शीघ्र हस्तक्षेप, समावेशी शिक्षा प्रणाली में श्रवण दिव्यांग बच्चों को बनाए रखने और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए तैयार करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। अयाजंरावाश्रदिसंस्थान ईआरसी, कोलकाता में उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को   व्यक्तिगत रूप से अतिरिक्त सहायता   प्रदान करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।

    इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं-

    o माता-पिता शिशु कार्यक्रम और प्री-स्कूल

    o सेवाएँ माता-पिता मार्गदर्शन और परामर्श

    o माता-पिता के लिए शैक्षिक मूल्यांकन और मार्गदर्शन

    सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास इकाई

    श्रवण एवं संप्रेषण विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए किसी भी पुनर्वास कार्यक्रम की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें उनके कौशल और अभिरुचि (aptitude) के आधार पर   संरक्षित (sheltered)   या   गैर-संरक्षित (non-sheltered)   स्तर पर   रोजगारोन्मुख कौशल   प्रदान किए जाएँ।

    अयाजंरावाश्रदि संस्थान,आरसी-कोलकाता   ने श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान कराने हेतु   सरकारी/गैर-सरकारी संस्थाओं   एवं   बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी)   के साथ समन्वय स्थापित करने के प्रयास किए हैं।

    संस्थान के   व्यावसायिक परामर्शदाता (Vocational Counselor)   एवं   सामाजिक कल्याण अधिकारी (Social Welfare Officer)   संभावित नियोक्ताओं (potential employers) के निरंतर संपर्क में रहते हैं और उन्हें श्रवण बाधित व्यक्तियों को कार्य के अवसर देने के लिए प्रेरित करते हैं।

    संस्थान में   श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों हेतु कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम   भी संचालित है। जो व्यक्ति   कक्षा 10वीं उत्तीर्ण   कर चुके हैं, वे   एक वर्षीय कंप्यूटर अनुप्रयोग पाठ्यक्रम (Computer Application Course)   में प्रवेश ले सकते हैं।

    इस इकाई के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं—

    –   व्यावसायिक मूल्यांकन

    –   व्यावसायिक मार्गदर्शन

    –   व्यावसायिक प्रशिक्षण और नियुक्ति

    –   आउटरीच एवं विस्तार सेवाएँ

    –   लक्षित समूहों हेतु सामग्री निर्माण एवं वितरण

    –   विभिन्न लक्षित समूहों के लिए जागरूकता कार्यक्रम

    –   सूचना, प्रलेखन एवं प्रसारण सेवाएँ

     मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन इकाई

    मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक मूल्यांकन श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पुनर्वास की उपयुक्त दिशा चयन में अत्यंत सहायक होता है। श्रवण, वाक् और भाषा विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहारिक मूल्यांकन   क्लिनिकल पर्यवेक्षक (मनोविज्ञान)   द्वारा किया जाता है। कुछ व्यक्तियों को जैसे वाक्, भाषा या श्रवण विकारों के कारण चिकित्सीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, जैसे कि व्यवहार में परिवर्तन (behavior modification), जो वाक् और भाषा विकास को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा का हिस्सा होता है।

    इस इकाई के तहत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं—

    –   मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और परामर्श

    –   मनोचिकित्सा, व्यवहार चिकित्सा और खेल चिकित्सा

    साइन लैंग्वेज इकाई

    प्रारंभिक हस्तक्षेप या मौखिक कौशल के विकास में असमर्थता के कारण, श्रवण दिव्यांगता (deafness) से ग्रस्त बच्चों को संवाद में कठिनाई हो सकती है। पारंपरिक रूप से, बहरापन से ग्रस्त बच्चे संवाद के लिए इशारों का उपयोग करते हैं।   साइन लैंग्वेज   बहरापन से ग्रस्त बच्चों और वयस्कों द्वारा प्रयुक्त संवाद के एक प्रमुख साधन के रूप में रही है।   अयाजंरावाश्रदि संस्थान,मुंबई   ने भारतीय साइन लैंग्वेज (ISL) के प्रयोग को देशभर में विकसित किया और उसका प्रचार किया।

    अयाजंरावाश्रदि संस्थान,ईआरसी, कोलकाता   का भारतीय साइन लैंग्वेज सेल (Indian Sign Language Cell) श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों के साथ-साथ बगैर श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों को भी विभिन्न स्तरों पर साइन लैंग्वेज का प्रशिक्षण प्रदान करता है। एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी उपलब्ध है, जो   आईएसएल इंटरप्रेटर   बनने के लिए होता है।

    राष्ट्रीय दिव्यांग सूचना हेल्पलाइन सेवा (एनडीआईएचएस)

    सूचना का प्रसार संस्थान के उद्देश्यों में से एक है, जिसे टेलीफोन के माध्यम से जानकारी तक पहुंचने के लिए एक संगठित प्रणाली से पूरा किया जा रहा है।  अयाजंरावाश्रदि संस्थान,मुंबई   ने   एनडीआईएचएस   की स्थापना की है – यह एक प्रणाली है जिसके माध्यम से विभिन्न विकारों जैसे श्रवण, दृष्टि, शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है, और यह सेवा देश के विभिन्न हिस्सों में उपलब्ध है, जिनमें   पश्चिम बंगाल भी शामिल है।

    एनडीआईएचएस  पश्चिम बंगाल में   अयाजंरावाश्रदि संस्थान,आरसी-कोलकाता   में स्थित है और यह 24×7 आईवीआरएस (Interactive Voice Response System) के माध्यम से उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, कामकाजी दिनों में कॉल अटेंडेंट की सहायता भी ली जा सकती है। सूचना   ईमेल   या   एसएमएस   के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है, और   फैक्स   के माध्यम से विभिन्न प्रपत्र प्राप्त किए जा सकते हैं।

    दिव्यांगताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पश्चिम बंगाल, बिहार और सिक्किम के लोग निम्नलिखित नंबरों पर कॉल कर सकते हैं:

    • 14456 (टोल-फ्री)
    • 033 – 25315492
    • ईमेल:   ndihs[dot]depwd[at]gmail[dot]com

    शैक्षिक और प्रशासनिक इकाई

    विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्रों के लाभ के लिए, शैक्षणिक प्रकोष्ठ विभिन्न पाठ्यक्रमों के शैक्षणिक कैलेंडर के कार्यान्वयन हेतु समन्वय करता है। किसी भी कठिनाई की स्थिति में, छात्र शैक्षणिक प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकते हैं। शैक्षणिक प्रकोष्ठ उन्हें छात्र कल्याण अधिकारी या पाठ्यक्रम समन्वयकों और शिक्षकों के पास भेज सकता है।

    प्रशासनिक इकाई संस्थान के सुचारू संचालन के लिए सभी गतिविधियों का प्रबंधन और समर्थन करती है।

    पुस्तकालय इकाई

    अयाजंरावाश्रदि संस्थान,आरसी-कोलकाता   का अपना वातानुकूलित पुस्तकालय है, जिसमें 2500 से अधिक (ऑडियोलॉजी-250, स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी-200, स्पेशल एजुकेशन-150, सामान्य शिक्षा-200, अन्य-1700) पाठ्यपुस्तकें हैं, जिनकी अनुमानित लागत ₹37 लाख है। अधिकांश पुस्तकें विदेशी लेखकों की हैं, जो ऑडियोलॉजी, स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी, और   श्रवण बाधित बच्चों की शिक्षा   से संबंधित हैं। इसके अतिरिक्त, पुस्तकालय में   एनसाइक्लोपीडिया  ,   रेफरल मैनुअल्स  ,   मैगजीन  ,   कॉम्पैक्ट डिस्क  , और   एनजीओ की वार्षिक रिपोर्ट्स   जैसी सामग्रियाँ भी हैं।

    संस्थान ने   18 अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स   का संपादन किया है, जिसकी वार्षिक लागत लगभग ₹6 लाख है। पुस्तकालय में   ऑनलाइन जर्नल्स   और   ई-बुक्स   तक पहुँच की सुविधा भी उपलब्ध है।
    संस्थान में   सीडी फ़ॉर्मेट में पुस्तकें  ,   ई-लाइब्रेरी  , और   बीएसएनएल ब्रॉड-बैंड इंटरनेट सुविधा   मुफ्त में छात्रों और कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है।

    समय

    संस्थान सुबह 9:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है, जिसमें   दोपहर के भोजन का समय   1:00 बजे से 1:30 बजे तक है।

    पाठ्यक्रम (Courses)
    संस्थान के प्रमुख उद्देश्यों में से एक   वाक्, भाषा और श्रवण विकारों से पीड़ित व्यक्तियों   को सेवा प्रदान करने के लिए मानव संसाधन का विकास करना है। इसके लिए संस्थान निम्नलिखित दीर्घकालिक पाठ्यक्रम संचालित करता है—

    – ऑडियोलॉजी और स्पीच पैथोलॉजी
    – श्रवण विकार वाले व्यक्तियों की शिक्षा
    – भारतीय साइन लैंग्वेज

    सभी पाठ्यक्रम   आरसीआई, नई दिल्ली   द्वारा अनुमोदित हैं।

    क्रम संख्या पाठ्यक्रम का नाम पात्रता कुल सीटें प्रवेश प्रक्रिया संबद्धता
    1 विज्ञान स्नातकोत्तर (भाषण-भाषा विकृति विज्ञान) एम.एससी. (एसएलपी)
    दो वर्ष का पाठ्यक्रम
    i i) श्रवण-विज्ञान एवं वाक्-भाषा विकृति में स्नातक उपाधि अथवा विश्वविद्यालय एवं आरसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त कोई समकक्ष डिग्री।
    सामान्य/ओबीसी के लिए 50% अंक
    एससी/एसटी/पीएच के लिए 45% अंक
    ii)उसने शैक्षणिक वर्ष की 31 जुलाई तक अनिवार्य परिवर्ती इंटर्नशिप की निर्धारित अवधि पूरी कर ली है और आरसीआई, नई दिल्ली में पंजीकरण करा लिया है।
    15 प्रवेश परीक्षा पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय
    2 विशेष शिक्षा (हियरिंग इम्पेयरमेंट) – बी. एड., विशेष शिक्षा (एच आई )
    दो वर्ष का पाठ्यक्रम
    किसी भी यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में डिग्री कोर्स अथवा समकक्ष और प्रवेश परीक्षा में योग्यता के आधार पर।
    सामान्य / ओबीसी के लिए 50% अंक
    एससी / एसटी / पीएच के लिए 45% अंक
    23 प्रवेश परीक्षा पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, बारासात
    3 श्रवण विज्ञान, वाक् – भाषा विकृति विज्ञान में स्नातक बीएएसएलपी
    चार वर्ष का पाठ्यक्रम
    1) पात्रता 10+2 है जिसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान/गणित/कंप्यूटर विज्ञान और अंग्रेजी तथा कोई अन्य पांचवां विषय शामिल है।
    2) प्रवेश के पिछले वर्ष की 31 दिसंबर को 17 वर्ष होना चाहिए
    50% अंक सामान्य/ओबीसी के लिए और
    45% अंक एससी/एसटी/पीएच के लिए
    34+2*
    * विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित
    प्रवेश परीक्षा पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय
    4 विशेष शिक्षा स्नातक (श्रवण बाधित) – मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा बी.एड. विशेष शिक्षा-एचआई-ओडीएल
    ढाई वर्ष का पाठ्यक्रम
    किसी भी यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में डिग्री कोर्स अथवा समकक्ष और प्रवेश परीक्षा में योग्यता के आधार पर।
    सामान्य/ओबीसी के लिए 50% अंक,
    एससी/एसटी/पीएच के लिए 45% अंक
    50 प्रवेश परीक्षा नेताजी सुभाष मुक्त विश्वविद्यालय, कोलकाता
    5 शिक्षा विशेष शिक्षा में डिप्लोमा(एच आई) डी.एड.स्पेशल.एड.(एचआई)
    दो वर्षीय पाठ्यक्रम
    किसी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10+2 उत्तीर्ण अथवा इसके समकक्ष न्यूनतम अंक
    सामान्य/ओबीसी के लिए 50% अंक,
    एससी/एसटी/पीएच के लिए 45% अंक
    31 योग्यता के आधार पर आरसीआई, नई दिल्ली
    6 सांकेतिक भाषा दुभाषिया पाठ्यक्रम में डिप्लोमा
    DISLI – दो वर्षीय पाठ्यक्रम
    (10+2 परीक्षा में 50% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को 2000/- रुपये प्रति माह वजीफा का प्रावधान)
    किसी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10+2 या समकक्ष परीक्षा।
    उच्च योग्यता वाले उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी।
    30 योग्यता के आधार पर आरसीआई, नई दिल्ली
    7 भारतीय सांकेतिक भाषा शिक्षण में डिप्लोमा
    डीटीआईएसएल – दो वर्षीय पाठ्यक्रम
    किसी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से 12वीं या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण। साथ ही प्राधिकृत मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी श्रवण विकलांगता प्रमाण पत्र। 20 योग्यता के आधार पर आरसीआई, नई दिल्ली
    8 कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा
    डीसीए – एक वर्षीय पाठ्यक्रम
    किसी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10वीं या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण। साथ ही प्राधिकृत मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी श्रवण विकलांगता प्रमाण पत्र। 20 योग्यता के आधार पर डब्ल्यू.ई.बी.ई.एल., पश्चिम बंगाल सरकार,

    संक्षिप्त अवधि का पाठ्यक्रम

    अयाजंरावाश्रदि संस्थान, आरसी – कोलकाता विभिन्न पेशेवर/कर्मचारियों जैसे नर्सों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, विशेष शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, ऑडियोलॉजिस्ट, समाज कार्यकर्ताओं, मनोवैज्ञानिकों और माता-पिता आदि के लिए संस्थान के अंदर और बाहर कई संक्षिप्त अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। इस संक्षिप्त अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पेशेवरों/कर्मचारियों को श्रवण दिव्यांगताओं के क्षेत्र में अपडेट/अध्यान्त करना है।

    शोध   

    शोध अकादमिक का एक अभिन्न हिस्सा है। छात्रों को ऑडियोलॉजी और स्पीच, लैंग्वेज पैथोलॉजी में मास्टर डिग्री की पूर्ति के रूप में शोध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कर्मचारियों और छात्रों को लेख लिखने और उन्हें प्रमुख राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। लेखों को अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशन के लिए भी भेजा जाता है।

     हमसे संपर्क करें  :-

    पता-

    अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र,
    बी.टी. रोड, बोनहुगली, कोलकाता 700 090
    फोन: 033-2531 0507
    फैक्स नं: 033 -2531 1427
    ईमेल: aderc-nihh[at]nic[dot]in
    ercofayjnihh[at]gmail[dot]com

     

    नियमित कर्मचारियों की सूची
    क्र.सं. नाम पदनाम शैक्षणिक योग्यता आरसीआई पंजीकरण संख्या कार्य अनुभव
    1 डॉ. बी. नागेश्वर राव सहायक निदेशक व्याख्याता (शिक्षा) पीएच.डी. (शिक्षा), एम.ए. एम.एड (एचआई) A01957 26 वर्ष
    2 श्री इंद्रनील चटर्जी व्याख्याता (वाक् एवं श्रवण) पीएच.डी. (वाक् और श्रवण), एमएएसएलपी A05924 20 वर्ष
    3 डॉ. प्रोसेनजीत मजूमदार समाज कल्याण अधिकारी पीएच.डी. (शिक्षा), एम.फिल., एम.ए. (सामाजिक कार्य) A09317 26 वर्ष
    4 डॉ. सुजय कुमार मकर एएसएलपी पीएच.डी. (वाक् और श्रवण),
    एमएएसएलपी
    A05243 26 वर्ष
    5 सुश्री पामेला समद्दार एएसएलपी एमएससी (वाक् एवं श्रवण) A05601 20 वर्ष
    6 सुश्री पियाली कुंडू एएसएलपी एमएएसएलपी A12678 15 वर्ष
    7 श्रीमती मिट्ठू मिस्त्री ईयर मोल्ड तकनीशियन डीसीडी B14135 30 वर्ष
    8 श्रीमती शिल्पी माकर प्री स्कूल शिक्षक बी.ए.बी.एड (एचआई) A04142 20 वर्ष