मनोविज्ञान विभाग
मनोविज्ञान विभाग
- संपर्क सूत्र : 022 – 69102111, 022 – 69102100 Ext.111
ई-मेल: psy-nihh[at]nic[dot]in
परिचय
“स्वास्थ्य, केवल बीमारी या दुर्बलता से मुक्ति मात्र नही बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है – डब्ल्यूएचओ (1948)’’। मनोविज्ञान विभाग में एक संकाय सदस्य, दो क्लिनिशियन और दो प्रशासनिक कर्मचारी शामिल हैं, जो दिव्यांगजनों के संपूर्ण कल्याण के लक्ष्य की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।
अनादि काल से मनोविज्ञान जीवन के सभी पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। यह वास्तव में महसूस किया जाता है कि – जहां जीवन है, वहां मनोविज्ञान है। कोई भी क्षेत्र इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इसने वाक्, श्रवण और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह श्रवणविज्ञान और वाक् भाषा विकृतिविज्ञान के इतिहास में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है, क्योंकि उनके द्वारा अपनाई जाने वाली अधिकांश नैदानिक और चिकित्सीय प्रक्रियाओं की जड़ें मनोविज्ञान के क्षेत्र में हैं। इसलिए, वाक् और संचार संबंधित दिव्यांगजनों के पुनर्वास के क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों के लिए मनोविज्ञान का ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
यथा, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ऐसे पेशेवरों का योगदान समाज में दिव्यांगजनों की हिस्सेदारी और समावेशिता के अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ने में अत्यधिक सशक्त बनाता है और इस प्रक्रिया में दिव्यांगजन समाज में अच्छी तरह से समायोजित और उत्पादक सदस्यों के रूप में विकासित होते है।
जनशक्ति विकास
दीर्घावधी प्रशिक्षण कार्यक्रम
क्षमता निर्माण, विभाग की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है। विभाग निम्नलिखित पाठ्यक्रमों के छात्रों को शिक्षा-प्रशिक्षण प्रदान करके कुशल मानव संसाधन विकसित करने में सहायता करता है
- एफ.वाई.बी.एएसएलपी.
- बी.एड. (एचआई)
- एम. एड. (एचआई)
- एमएएसएलपी
क्षमता निर्माण का अंतिम उद्देश्य छात्रों को दिव्यांगजनों के मनोविज्ञान से संबंधित उनके स्वरूप, आवश्यकताओं और मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाना है। हम साकल्यवादी और मानवतावादी दृष्टिकोण से सुसज्जित और बेहतरीन पेशेवरों को तैयार करने का प्रयास करते हैं। छात्रों को जीवनकाल की बुनियादी मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं और विकास से संबंधित जानकारी दी जाती है। यह दिव्यांगजनों के संबंध में किसी भी विचलन और देरी की उनकी समझ को मजबूत करता है। हमारा लक्ष्य ऐसे पेशेवरों का एक कैडर तैयार करना है, जिनके पास दिव्यांगता प्रबंधन के प्रति एक परिवर्तित दृष्टिकोण है और जो दिव्यांगजनों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि दिव्यांजनों की निष्पक्ष और समावेशी स्थिति सुनिश्चित की जा सके।
अल्पावधि कार्यक्रम
कई पेशेवरों और लाभार्थियों की प्रतिक्रिया ने बहुत से विषयों पर जानकारी प्रदान करने की अपरिहार्यता को दर्शाया है। इसलिए, विभाग कार्यशालाओं/संगोष्ठियों/सम्मेलनों/पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों और सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम के रूप में संस्थान और बाहर प्रकार से अल्पकालिक पाठ्यक्रम आयोजित करता है। सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरह के कई संगठन लाभार्थी रहे हैं। अब तक शामिल किए गए कुछ विषय इस प्रकार हैं:
- श्रवण दिव्यांगजनों की मनोसामाजिक चिंताएँ
- श्रवण दिव्यांगजनों की व्यवहार संबंधी समस्याएं
- हास्य योग और इसके अनुप्रयोग
- श्रवण दिव्यांगजनों का लिंग और कामेच्छा
- मनो निदान
- अनुसंधान क्रियाविधि
- जीवनावधी में दिव्यांगता
लक्षित आबादी में सामान्य और विशेष स्कूलों के शिक्षक, प्रधानाचार्य, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता, पुलिस कर्मी, संबद्ध पेशेवर और श्रवण बाधित बच्चों के अभिभावकगण और देखभालकर्ता शामिल हैं।
इसके अलावा, देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और अन्य संगठनों द्वारा अनुरोध किए जाने पर शैक्षणिक और नैदानिक विशेषज्ञता प्रदान की जाती है। विभाग आउटरीच सेवाओं के लिए भी अपना योगदान देता है जिसमें समय-समय पर गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों के शिविरों और निरीक्षणों में भाग लेना शामिल है।
अनुसंधान और विकास
परियोजनाएं और सामग्री विकास
श्रवण ह्रास और संचार विकारों वाले ग्राहकों के साथ वर्षों के अनुभव ने रुचि के कुछ और क्षेत्रों का पता लगाने की आवश्यकता उत्पन्न हुई है। अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचने के प्रयास में और श्रवण दिव्यांगजनों का उपचार करने वाले पेशेवरों हेतु विभाग द्वारा विभिन्न अनुसंधान और संसाधन सामग्री विकसित की गई है। विभिन्न प्रकार की चिंताएं जैसे कि
- श्रवण दिव्यांग बच्चों में आचरण समस्याएं
- श्रवण दिव्यांगजनों का मनोसामाजिक प्रोफाइल
- श्रवण दिव्यांगजनों में व्यवहार संबंधी सामान्य समस्याएं
- समग्रग्र उत्तेजना
उपर्युक्त, देखभालकर्ताओं को आवश्यकता के आधार पर प्रदान किए जाते हैं।
नैदानिक सेवाएं
नैदानिक सेवा जिसमें उन ग्राहकों के लिए नैदानिक और चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान करना शामिल है, जो श्रवण ह्रास, संचार विकार, मानसिक मंदता, सीखने की अक्षमता और श्रवण ह्रास से जुड़े भावनात्मक विकारों जैसी समस्याओं की एक श्रृंखला का सामना कर रहें हैं। विभाग सभी उम्र के व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करता है। नैदानिक सेवाओं निम्नप्रकार हैं
निदानकारी सेवाएं
निदानकारी सेवाएं में शामिल हैं
- विकासात्मक आकलन
विकासात्मक आकलन में संवेदी मोटर विकास, संचार और अनुकूली व्यवहार से संबंधित बच्चे की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन शामिल है।
- बुद्धि परीक्षण
बुद्धि परीक्षण में सामान्य मानसिक क्षमता का आकलन शामिल है। ये मानकीकृत परीक्षण हैं जिनका उपयोग किसी दिव्यांग की अवधारणाएं बनाने, समस्याएं हल करने, जानकारी प्राप्त करने, तर्क-वितर्क करने और अन्य बौद्धिक संचालन करने की क्षमता को मापकर बुद्धि के स्तर की रेटिंग स्थापित करने के लिए किया जाता है।
- व्यक्तित्व आकलन
व्यक्तित्व आकलन में ऐसे परीक्षण शामिल होते हैं जिनमें आमतौर पर प्रश्नों या कार्यों की एक मानकीकृत श्रृंखला शामिल होती है, जिसका उपयोग किसी दिव्यांग की व्यक्तित्व विशेषताओं का वर्णन या मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
मनो-चिकित्सीए सेवाएं
मनो-चिकित्सीय सेवाओं में शामिल हैं
मार्गदर्शन
मार्गदर्शन में ग्राहकों/देखभालकर्ता की समस्याओं के लिए सीमित सत्रों में विशिष्ट इनपुट प्रदान करना शामिल है। मार्गदर्शन के लिए उम्मीदवार स्वयं ग्राहक या उनके देखभालकर्ता हो सकते हैं। निम्नलिखित हेतु समाधान चाहने वाले व्यक्तियों को मार्गदर्शन दिया जाता है
- स्कूल में दाखिला लेने के निर्णय में
- शैक्षणिक समस्याएं
- व्यवहार संबंधी समस्याएं जिनमें गंभीर दिल का दौरा और/या अव्यवस्थित पारस्परिक संबंध शामिल नहीं हैं।
- व्यावसायिक विकल्पों और प्रशिक्षण में समस्याएं
परामर्श
परामर्श में अल्पकालिक या दीर्घकालिक सहायक और उपचारात्मक प्रावधान शामिल हैं
व्यक्तिगत और/या पारस्परिक समस्याओं हेतु परामर्श दिया जाता है
ग्राहकों की निम्नलिखित से संबंधित समस्या
- व्यक्तिगत अपरिपक्वता
- भावनात्मक तनाव
- अस्त–व्यस्त व्यवहार
- अंतर्वैयक्तिक समस्याएं जिनका परिणाम शैक्षणिक/पारिवारिक/सामाजिक और/या/व्यावसायिक समायोजन पर सामान्य प्रभाव पड़ता है।
वे देखभालकर्ता जिन्हें ग्राहक में स्थायी ह्रास और दिव्यांगता के निदान को समझने लिए समर्थन की आवश्यकता होती है।
मनोचिकित्सा: मनोचिकित्सा एक सामान्य शब्द के रूप में कई दृष्टिकोण और तकनीकें शामिल हैं।
ये आमतौर पर दीर्घकालिक होते हैं और निम्न पर केंद्रित करते हैं
- दूसरों और/या स्वयं के प्रति दृष्टिकोण बदलना
- अंतर्दृष्टि का सृजन
- व्यवहार परिवर्तन
यह व्यक्ति को अधिक संतुष्टि, बेहतर अंतर्वैयक्तिक समायोजन और उत्पादकता बढा़ने हेतु आकार देता है जिसके परिणामस्वरूप जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
संकाय सदस्य विवरण
क्र.सं. | नाम | पदनाम | शैक्षिक योग्यताएं | अनुभव | अभिरूचि क्षेत्र | छायाप्रति |
1 | श्रीमती यू. प्रतिभा | व्याख्याता और प्रभारी मनोविज्ञान | एम.फिल- नैदानिक चिकित्सा मनोविज्ञान | नैदानिक चिकित्सा मनोविज्ञान में 10 वर्ष 7 माह का अनुभव | श्रवण ह्रास, ऑटिज्म , मानसिक मंदता, व्यवहार परिवर्तन |