संगठन ज्ञापन
सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण :
अधिनियम 1860 का XXI- का प्रमाणपत्र
सं० 1982 का एस/12840
मैं एतद्वारा यह प्रमाणित करता हूं कि संस्थान को आज अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग को सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के XXI के अधीन पंजीकृत किया।
दिनांक 26 अगस्त, उन्नीस सौ बयासी को दिल्ली में मैंने अपने हस्ताक्षर किए। पंजीकरण शुल्क 50 रुपए का भुगतान किया गया।
हस्ता/-
सहकारी समिति पंजीयक
दिल्ली प्रशासन: दिल्ली
अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान
संगठन जापन और नियम तथा विनियम
1. सोसाइटी का नाम:
1.1. सोसाइटी का नाम अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान है।
सोसाइटी का पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में है और इसका वर्तमान पता समाज कल्याण मंत्रालय, शास्त्री भवन, ए विंग, नई दिल्ली है।
सोसाइटी के लक्ष्य और उद्देश्य:
यह सोसाइटी निम्नलिखित लक्ष्यों और उद्देश्यों के प्रयोजन के लिए स्थापित की गई है।
· शिक्षा के सभी पक्षों में अनुसंधान करने, प्रायोजित करने, समन्वित करने या आर्थिक सहायता देने के लिए और बधिरों के पुनर्वास के लिए।
· सहायक साधनों के प्रभावी मूल्यांकन या उपयुक्त शल्यचिकित्सा या चिकित्सा प्रक्रिया अथवा नए सहायक साधनों में वृध्दि करने के लिए जैव चिकित्सा इंजीनियरी में अनुसंधान करने, सहायता देने, समन्वित करने या आर्थिक सहायता देने के लिए
· प्रशिक्षणार्थियों को सहायता देने के लिए और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण प्राठ्यक्रम चलाने या अधिकारियों, मनोवैज्ञानिकों व्यावयसायिक उपबोधकों और अन्य ऐसे कार्मिकों की नियुक्ति करना, जिन्हें बधिरों को शिक्षा, प्रशिक्षण या पुनर्वास के संवर्धन के लिए संस्थान द्वारा आवश्यक समझा गया हो।
· श्रवण विकलांगों की शिक्षा, पुनर्वास या चिकित्सा के किसी भी पहलू को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए किसी भी या सभी सहायता उपकरणों के प्रोटोटाइप के निर्माण को वितरित या बढ़ावा देना या सब्सिडी देना।
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संस्थान निम्नलिखित कार्य करेगा
क. विद्यालयों, प्रशिक्षण केन्द्रों, कार्यशालाओं या किसी अन्य गतिविधि की स्थापना, प्रशासन, प्रबंधन या अधिग्रहण या प्रबंधन और प्रशासन को आर्थिक सहायता प्रदान करना, जिसे संस्थान श्रवण विकलांगों की शिक्षा और पुनर्वास के किसी भी पहलू में अनुप्रयुक्त या मौलिक अनुसंधान के लिए आवश्यक या वांछनीय समझता है।
ख. साहित्य के प्रकाशन और वितरण, परीक्षण जैसे शैक्षणिक या पुनर्वास परीक्षण या अन्य ऐसी अनुदेशात्मक सामग्री जो बधिरों के शिक्षण और पुनर्वास से सम्बन्धित हो, को अपने हाथ में लेना, संवर्धन करना या आर्थिक सहायता देना ।
ग. बधिरों के शिक्षण और पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर की सेवाएं ।
घ. संस्थान द्वारा संचालित किए गए पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा कराना और डिप्लोमा और प्रमाण-पत्र प्रदान करना ।
ङ. बधिरों के शिक्षण और पुनर्वास के सम्बन्ध में सूचना प्रसार केन्द्र के रुप में कार्य करना ।
च. इस देश या विदेश में समान उद्देश्य रखने वाले संस्थान के साथ साहित्यिक सामग्री, विशेषज्ञों के आदान, प्रदान, उपस्कर या अन्य किसी तरीके से जिसे संस्थान उपयुक्त समझता हो, सहयोग देने के लिए।
छ. सामान्यतः स्कूलों में बधिर बच्चों और समाज में बधिर प्रौढ़ों के एकीकरण को प्रोत्साहित करना ।
ज. सहयोगी विकारों सहित बधिर बधिर बच्चों और प्रौढ़ व्यक्तियों को शिक्षा प्रशिक्षण और पुनर्वास के लिए प्रयोगात्मक कार्यक्रमों की जिम्मेदारी लेना, प्रायोजित करना, समन्वित करना या आर्थिक सहायता देना
झ. माता-पिता या अन्य लोक शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रमों की जिम्मेदारी लेना, प्रायोजित करना, समन्वित करना या इसके लिए आर्थिक सहायता देना ।
ञ. बधिर को शिक्षा देने और उनके पुनर्वास के लिए अनुसंधान परियोजनाओं में परिवर्धन के लिए व्यक्ति या संगठनों को तकनीकी अथवा संस्था सम्बन्धी या गैर संस्था सम्बन्धी कार्यक्रमों की स्थापना करने के लिए सहायता देना ।
ट. बधिरों को शिक्षा, प्रशिक्षण और उनके पुनर्वास के सभी पहलुओं के सम्बन्ध में प्रलेखीकरण की व्यवस्था करने वाले केन्द्रों को संगठित करना, समन्वित करना या वित्तीय रुप से या अन्यथा सहायता करना ।
ठ. बधिरों को शिक्षा देने, प्रशिक्षण देने और इनके पुनर्वास के लिए अनुसंधान में वृध्दि करने और इसके उपयोग के लिए संगोष्ठियाँ, कार्यशाला अध्ययन मंडल, कार्यकारी ग्रुपों को संगठित करना, इन्हें सहायता और वित्तीय सहायता देना ।
ड. बधिरों की शिक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास से सम्बन्धित पुस्तके, पुस्तिकाएँ, फिल्म, स्लाइड टेप या अन्य सामग्री की तैयारी लेखन या प्रकाशन की जिम्मेदारी लेना, तैयार करके भेजना या आर्थिक सहायता देना।
ढ. बधिरों की शिक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास से सम्बन्धित विषयों पर जैसाकि अपेक्षा की गई हो भारत सरकार को सूचना देना।
ण. अन्य ऐसे सभी उचित कार्य करना जो संस्थान के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए लाभदायक या प्रासंगिक हो।
4. कार्यकारी परिषद
4.1. कार्यकारी परिषद के वर्तमान सदस्यों के नाम, पते व्यवसाय और पदनाम, जिन्हें सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1860 का XXI की धारा 2 के अधीन संस्थान के नियमों के अनुसार संस्थान के कार्यकलाप का प्रबंध सौपा गया है, निम्नानुसार है
क्र.सं. | नाम | पदनाम और पता | विवरण |
1. | श्री एम.सी. नरसिंहन | संयुक्त सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली | अध्यक्ष
|
2 | श्री जे. ए. कल्याणकृष्णन
|
वित्तीय सलाहकार, शिक्षा और समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली | सदस्य
|
3 | डॉ. एन. रत्ना
|
निदेशक, अखिल भारतीय वाक् और बधिर
संस्थान, मैसूर |
सदस्य
|
4 | डॉ. एस. के. कवड्डू
|
कान, नाक, गले के विभागाध्यक्ष, अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली | सदस्य
|
5 | श्री तेज प्रकाश
|
उप सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार | सदस्य- सचिव(निदेशक के
नियुक्त होने तक) |
5. संगठन ज्ञापन के हस्ताक्षरकर्ता
5.1 हम, जिन व्यक्तियों के नाम और पते नीचे दिए गए है, संगठन ज्ञापन में दिए गए प्रयोजन के लिए अपने नाम को सम्बध्द करते हैं और एतद्द्वारा इस संगठन ज्ञापन पर अपने हस्ताक्षर करते हैं तथा सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम (1860 का xx 1) के अनुसरण में सघशासित क्षेत्र, दिल्ली तक बढ़ा दिया गया है, के अधीन अपने आपको शामिल करके एक सोसाइटी बनाते है। (पंजाब संशोधन) अधिनियम, 1957, जिसे संगठन ज्ञापन
क्र.सं. | नाम | नाम और पता | हस्ताक्षर |
1 | श्रीमती सरला ग्रेवाल
|
सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, शास्त्री भवन, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
2 | श्री जे. ए. कल्याणकृष्णन | वित्तीय सलाहकार, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, शाश्री भवन, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
3 | श्री एम. सी. नरसिंहम्न
|
संयुक्त सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, शाखी भवन, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
4 | श्री एम. वेक्टरमणी
|
महानिदेशक नियोजन और प्रशिक्षण श्रम मंत्रालय, श्रम शक्ति भवन, भारत सरकार, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
5 | एस. सत्यम
|
संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय, शास्त्री भवन, भारत सरकार, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
6 | डॉ. एन. रत्ना
|
निदेशक, अखिल भारतीय वाक् और बधिर संस्थान, मैसूर | हस्ता०/- |
7 | डॉ. एस. के. कवडू | कान, नाक, गला के विभागाध्यक्ष, अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, अंसारी रोड, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
8 | श्री तेज प्रकाश | उप सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
उपरोक्त हस्ताक्षरों के साक्षी:
क्रसं. | नाम | व्यवसाय और पता | हस्ताक्षर |
1. | श्री एम.आर. खुराना | डेस्क अधिकारी, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, शास्त्री भवन, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
2. | आर एल. दुग्गल
दिनांक 30 जून, 1982 |
डेस्क अधिकारी, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, शास्त्री भवन, नई दिल्ली | हस्ता०/- |
अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान के नियम और विनियम
1. परिभाषा
क. इन नियमों में, जब तक कि विषय या संदर्भ से कुछ भी विरूद्ध न हो
ख. “संस्थान” से अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान अभिप्रेत है।
ग. “प्रधान” से महासभा का प्रधान अभिप्रेत है।
घ. “महासभा” से संस्थान की महासभा अभिप्रेत है।
ङ. “कार्यकारी परिषद” से संस्थान की कार्यकारी परिषद अभिप्रेत है।
च. “अध्यक्ष” से कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष अभिप्रेत है।
छ. “ज्ञापन” से अली यावर जग राष्ट्रीय श्रवण दिव्यांग संस्थान के पंजीकृत संगठन ज्ञापन और नियमावली अभिप्रेत है जिसे सोसाइटी द्वारा समय समय पर संशोधित किया जा सकता है।
ज. “नियमों “से अभिप्राय संगठन ज्ञापन के साथ पंजीकृत नियमों से है और सोसाइटी द्वारा इन्हें समय समय पर संशोधितकिया जा सकता है।
झ. “सोसाइटी” से संस्थान को बनाने वाली सोसाइटी अभिप्रेत है।
ञ. “पट्धारियों “से प्रधान या अध्यक्ष, सदस्य सचिव या अन्य कोई सदस्य, जिसे सभापति या अध्यक्ष द्वारा नामोदिष्ट किया जाएगा, अभिप्रेत है।
ट. “सरकार” से केंद्रीय सरकार अभिप्रेत है।
ठ. “वर्ष” से केंद्रीय सरकार का वित्तीय वर्ष अभिप्रेत है।
2. संस्थान के प्राधिकारी
निम्नलिखित संस्थान के प्राधिकारी होंगे:-
क. महासभा ।
ख. कार्यकारी परिषद ।
ग. ऐसे अन्य प्राधिकरण, जो समय-समय पर महासभा द्वारा विहित किए जाएं ।
3. महासभा
3.1 महासभा के गठन में निम्नलिखित शामिल होंगे:
क्र.सं. | नाम और पता | पदनाम |
1 | सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार | अध्यक्ष |
2 | समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार में विषय से सम्बध्द संयुक्त सचिव | सदस्य |
3 | वित्तीय सलाहकार, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार | सदस्य |
4 | महानिदेशक नियोजन और प्रशिक्षण श्रम मंत्रालय | सदस्य |
5 | (ग्यारह) स्वैच्छिक संगठनों के विशेषज्ञ प्रतिनिधि/ सम्बन्धित क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता (भारत सरकार द्वारा नामित किए गए) | सदस्य |
6 | स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार का नामिति | सदस्य |
7 | महाराष्ट्र सरकार के दो नामिती (सचिव, समाज कल्याण सदस्य विभाग और निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा, महाराष्ट्र सरकार) | सदस्य |
8 | शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकारी नामिती | सदस्य |
9 | संस्थान के निदेशक | सचिव |
3.2 महासभा को समय-समय पर ऐसी अवधि के लिए ऐसे संगठनों या संस्थाओं जिन्हें वे उचित समझते हो और ऐसे व्यक्तियों में से जिन्हें वे इस संस्थान के हित में वांछनीय समझते हों एक या एक से अधिक प्रतिनिधि को समय-समय पर सहयोजित करने की शक्ति प्राप्त है। सहयोजित सदस्य को विचार विनिमय में भाग लेने का अधिकार होगा, वोट देने का नहीं।
4. कार्यालय की पदावधि
क. प्रधान के सिवाय महासभा के सदस्यों और पदधारियों की पदावधि दो वर्ष या उनके उत्तराधिकारी नामित किए जाने इसमें से जो भी पहले हो तक होगी वे पुनः नामांकन के पात्र होंगे।
ख. महासभा के सदस्य की पदावधि केन्द्रीय सरकार की इच्छा पर होगी, इसे केन्द्रीय सरकार की इच्छा से घटाया या बढ़ाया जा सकता है।
ग. पदेन सदस्य पद खाली होने पर स्वतः महासभा का सदस्य नहीं रहेगा।
5. महासभा की बैठक
5.1 महासभा की वार्षिक आम बैठक तिथि, समय, स्थान और कार्यसूची देते हुए कम से कम 21 दिन का लिखित सूचना देने के पश्चात प्रत्येक वर्ष अध्यक्ष द्वारा बुलाई जाएगी और इस बैठक में निम्नलिखित कार्य किए जाएंग।
क. वार्षिक रिपोर्ट पर विचार करना।
ख. पिछले वर्ष के तुलन पत्र और लेखा परीक्षित लेखों पर विचार करना ।
ग. आगामी वर्ष के लिए बजट प्रस्ताव प्राप्त करना और उस पर विचार करना ।
घ. ऐसे अन्य विषय या विषयों पर विचार करना जिनके लिए प्रधान आज्ञा दे।
5.2 अध्यक्ष कम से कम चौदह दिन का नोटिस देकर महासभा की विशेष बैठक, जिसे वह जब कभी भी बुलाना आवश्यक समझता हो बैठक के प्रयोजन का निदेश देकर बुला सकता है।
5.3 प्रधान द्वारा बुलाई गई महासभा की उक्त विशेष बैठक में बैठक के सम्बन्ध में दी गई सूचना में सम्मिलित किए गए कार्यों से इतर कार्यों के सम्बन्ध में विचार नहीं किया जाएगा।
5.4 महासभा के अध्यक्ष के अधिकार और कर्तव्य में निम्नलिखित होंगे
क. महासभा की सभी बैठके बुलाना और उनका सभापतित्व करना, और
ख. ऐसे किसी मामले के सम्बन्ध में, जिसे उनके द्वारा विचार किए जाने के लिए अपेक्षित समझा गया हो, अपने विचारों पर कार्यपरिषद द्वारा विचार करवाना
6. कार्यकारी परिषद
6.1 कार्यकारी परिषद के संघटन में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे:
क्र.सं. | नाम और पता | पदनाम |
1 | विषय से संबद्ध संयुक्त सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, भारत सरकार | अध्यक्ष |
2 | वित्तीय सलाहकार, समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार | सदस्य |
3 | (दो) स्वैच्छिक संगठनों के विशेषज्ञ प्रतिनिधि/ सम्बन्धित क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता (भारत सरकार द्वारा नामित किए गए) | सदस्य |
4 | संस्थान के निदेशक | सदस्य सचिव |
6.2 कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष विशेष बैठक या बैठकों में सम्मिलित करने के लिए किसी भी व्यक्ति को जिसे वह उचित समझता हो आमंत्रित कर सकता है।
6.3 कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के अधिकार और कर्तव्य निम्न होंगे:
(1) कार्यकारी परिषद की बैठकों का सभापतित्त्व करना:
(II) संस्था के हित में जब कभी स्थिति को अनिवार्यता को देखते हुए आपाती कार्रवाई करनी पड़े तो उसे बाद में अगली बैठक में कार्य परिषद से अनुमोदित करा लेना चाहिए।
7. कार्यालय की पदावधि
7.1 खण्ड 3.1 (ड) के अनुसार और खण्ड 6.1 (ग) के अनुसार नामित सदस्य नामांकन की तारीख से दो वर्षों की अवधि के लिए पद धारण करेंगे। सदस्य पुनः नामांकन के लिए पात्र होंगे।
7.2 यदि महासभा/कार्यकारी परिषद का कोई सदस्य अपने धारित पद के कारण से उक्त सदस्य बन जाता है तो उसके अपने पद पर बने रहने के कारण उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी।
7.3 यदि महासभा/कार्यकारी परिषद का कोई सदस्य अपना पत्ता बदलता है तो उसे अपने नए पते की सूचना सदस्य सचिव को देनी होगी परन्तु यदि वह उस पते की सूचना नहीं दे पाता है तो सदस्यों की पंजी में दर्ज किए गए उसके पते को ही उसका पता माना जाएगा।
8. सदस्यता रोकना या समाप्त करना ।
8.1 महासभा या कार्यकारी परिषद के यदि किसी सदस्य की (क) मृत्यु हो जाती है. या (ख) वह अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे देता है. या (ग) विक्षिप्त हो जाता है, या (घ) दिवालिया हो जाता है, या (ड) दंडनीय अपराध और नैतिक चरित्रहीनता के लिए दोषसिध्द किया जाता है, या (च) केन्द्रीय सरकार द्वारा उसकी सदस्यता समाप्त की जाती है, या (छ) संस्थान के निदेशक के सिवाय, संस्थान में पूर्णकालिक नियुक्ति की स्वीकृति देता है, या (ज) महासभा के प्रधान या कार्य परिषद के अध्यक्ष, यथास्थिति, से छुट्टी लिए बिना लगातार तीन बैठकों में सम्मिलित नहीं हो पाता तो वह उसका सदस्य नहीं रह सकेगा।
8.2 महासभा या कार्य परिषद (पदेन सदस्य या केन्द्रीय सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य से इतर) का कोई सदस्य महा सभा के प्रधान या कार्य परिषद के अध्यक्ष के, यथास्थिति, नाम से पत्र लिखकर त्यागपत्र देता हो तो उसका त्यागपत्र उसी तारीख से लागू होगा जिस तारीख से संबंधित प्रधान अध्यक्ष द्वारा स्वीकृत किया गया हो।
9. आकस्मिक रिक्ति
9.1 महासभा या कार्य परिषद में जब भी कोई आकस्मिक नैमित्तिक रिक्ति होगी (स्थान आकस्मिक रुप से रिक्त होगा) उसे यही उपयुक्त प्राधिकारी किसी सदस्य की नियुक्ति या नामांकन करके भरेगा जिसे इसका एक होगा। इस प्रकार के आकस्मिक स्थान को भरने के लिए जिरा सदस्य को नियुक्त या नामित किया गया है वह उस सदस्य की पदावधि के शेष यात्रा तक ही उस पद पर रह सकेगा। जिसके स्थान पर वह नियुक्त या नामित किया गया हो।
9.2 महा सभा कार्य परिषद इसमें किसी रिक्ति के होते हुए भी और उसके किनहीं सदस्यों की नियुक्ति या नामांकन में त्रुटि होते हुए भी कार्य करेगी और महासभा या कार्यपरिषद के कार्य या कार्यवाहियों को उसमें कोई रिक्ति होने या उसके किन्हीं सदस्यों की नियुक्ति या नामांकन में त्रुटि होने के कारण मात्र से आपत्ति नाहीं उठाई जाएगी।
10. कार्यकारी परिषद की बैठक
10.1 संस्थान की कार्य परिषद की बैठक तीन महीनों में कम से कम एक बार बुलाई जाएगी।
10.2 कार्य परिषद की बैठक कार्य परिषद के अध्यक्ष द्वारा या कार्य परिषद के अन्य किसी सदस्य द्वारा, जिसे इस निमित्त उनके द्वारा प्राधिकृत किया गया हो. आयोजित की जा सकती है।
10.3 कार्य परिषद की बैठकों का सभापतित्व कार्य परिषद के अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा और उनकी अनुपस्थिति में उपस्थित सदस्यों द्वारा निर्वाचित सदस्य द्वारा विशेष बैठक के लिए अध्यक्ष के रुप में कार्य करेगा।
11. कार्यकारी परिषद की शक्तियां और कार्य
11.1 कार्यकारी परिषद के साधारण नियंत्रण और निर्देशों के अनुसार, इसके उद्देश्यों को बढ़ाने के लिए इसके अधीन बनाए गए संगम ज्ञापन, नियम और उप नियमों के अनुसार संस्थान की गतिविधियों के प्रबंध और प्रशासन के लिए कार्य परिषद जिम्मेवार होगी और इसमें निम्नलिखित वे सभी शक्तियां शामिल होगी जो इस प्रयोजनार्थ आवश्यक और उचित हो
(क) संस्थान के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए स्पष्ट नीति निर्धारित करना ।
(ख) बजट प्राक्कलन की समीक्षा और उसे संस्वीकृत करना।
(ग) वित्तीय उप-नियमों में गधापरिभाषित खर्च संस्वीकृत करना ।
(घ) संस्था की निधि का निवेश।
(ड.) उचित निवन्धनों और शर्तों पर उधार लेना ।
(च) पढ़ें का सूजन करना और कर्मचारियों की भर्ती तथा नियुक्ति करना ।
11.2 कार्यकारी परिषद के द्वारा निदेशक की नियुक्ति सरकार के पूर्व अनुमोदन से की जाएगी।
11.2 (क) ऐसे सभी पदों का सृजन और नियुक्ति जिनका आरंभिक मासिक वेतन 1600 रुपए या अधिक है सरकार के पूर्व अनुमोदन से की जाएगी।
11.3 अन्य पदों का सृजन या नियुक्ति कार्यकारी परिषद करेगा।
11.4 संस्थान का निदेशक संस्थान के प्रबंध का प्रभारी होगा और वह संस्थान के मामलों के संबंध में समय-समय पर कार्य परिषद के द्वारा उसे सौंपी गई शक्तियों का प्रयोग करेगा।
11.5 कार्यकारी परिषद ऐसे प्रयोजनों के लिए और ऐसी शक्तियों के साथ जिनका विशेष रुप से उल्लेख किया गया है एक या अधिक समिति या समितियों या उप समितियों को प्रस्ताव द्वारा नियुक्त कर सकता है।
11.6 संस्थान की कार्य परिषद प्रस्ताव द्वारा अध्यक्ष या निदेशक को अलग-अलग या एक साथ काम-काज के संचालन के लिए जैसा उपयुक्त समझे अपनी शक्तियाँ उन्हें प्रत्यायोजित कर सकता है।
11.7 कार्यकारी परिषद सरकार के पूर्व अनुमोदन के साथ नियमों में परिवर्तन कर सकती इन्हें रद्द कर सकती है और नए नियम बना सकती है।
12. संस्थान के लिए निधियां, लेखा और लेखा परीक्षा
12.1 संस्थान की निधियों में निम्नलिखित शामिल होंगे :-
(क) भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के द्वारा या के माध्यम से अनुदान ।
(ख) अन्य स्रोतों से दान और चन्दा।
(ग) संस्थान की अन्य आय और प्राप्तियां ।
12.2 संस्थान की निधियों को कार्य परिषद द्वारा नामित बैंक में जमा कराया जाएगा। प्राप्त निधियां ऐसे बैंक में रखे गए संस्थान के खाते में जमा की जाएगी। ऐसी जमा निधियों को कार्य परिषद द्वारा नामोदिष्ट और उनकी ओर से कार्य करने के लिए प्राधिकृत दो व्यक्तियों के द्वारा चैक पर हस्ताक्षर करने पर ही आहरित किया जा सकेगा अन्यथा नहीं ।
12.3 संस्थान उप-विधियों के अधीन यथानिर्धारित फार्मों में तुलन-पत्र सहित उचित लेखे रखेगी।
12.4 संस्थान के लेखों का लेखा परीक्षण वर्ष में एक बार केन्द्र सरकार के द्वारा यथानिर्देशत तरीकों से किया जाएगा और संस्थान के लखों के लेखा परीक्षण के संबंध में हुए खर्चे की अदायगी संस्थान करेगा। लेखा परीक्षक को संस्थान के कार्यालय का निरीक्षण करने और बहियों, लेखों, वाउचरों, अन्य दस्तावेजों और कागजातों को प्रस्तुत करने की मांग करने का अधिकार है।
12.5 प्रत्येक वित्त वर्ष के समापन के बाद छह मास के भीतर संस्थान केन्द्र सरकार को पिछले वर्ष के लेखा परीक्षित विवरण प्रस्तुत करेगा।
12.6 संस्थान वित्त वर्ष। अप्रैल से आगामी वर्ष के 31 मार्च तक होगा।
13 संस्थान सोसापटी की निधि का निवेश और रख रखाव करेगा और उसे निम्नलिखित अधिकार होंगे।
क. उक्त उद्देश्यों को बढ़ाने के लिए धन और निधि के लिए अपील और आवेदन जारी करना तथा उपहार, दान, अभियान या इससे भिन्न, नकद या प्रतिभूतियों द्वारा और चल तथा अचल सम्पत्ति द्वारा धन, एकत्रित करने और दानकर्ताओं, अंशदाताओं, और अन्य हितकारियों को, ऐसे अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करना, जिसे सोसाइटी उपयुक्त समशती हो।
ख. सोसाइटी के उद्देश्य को बढ़ाने के लिए आवश्यक या सुविधाजनक चल या अचल सम्पत्ति अर्जित करना, क्रय करना या अन्यथा स्वामित्व रखने या अस्थायी पट्टे पर या भाड़े पर लेने या स्थायी रूप से खरीदने का अधिकार होगा।
ग. सोसाइटी से सम्बन्धित सम्पूर्णतया किसी भी चल या अचल सम्पत्ति को प्रतिभूति के बिना या प्रतिभूति के साथ या बंधक प्रभार या प्रतिभूति आण्डमान या गिरवी पर या अन्य किसी तरीके से उधार लेने और इसे बढ़ाने का अधिकार होगा परन्तु इसके लिए उसे भारत सरकार की पूर्वानुमति लेनी होगी ।
घ. सोसाइटी के उद्देश्यों को बढ़ाने के लिए सोसाइटी की सम्पूर्ण या किसी भी चल या अचल सम्पत्ति की बिक्री करने, नियत करने, बंधक रखने, पट्टे पर देने, विनिमय करने और अन्यथा स्थानान्तरित करने या उसका निपटान करने का अधिकार होगा परन्तु उसे अचल सम्पत्ति को स्थानांतरित करने के लिए भारत सरकार को (लिखित में) पूर्वानुमति लेनी होगी।
ङ. सरकार या नगरपालिका प्राधिकरण स्थानीय या अन्य किसी के साथ करार करने, उस सरकार या प्राधिकारी से कोई अधिकार, विशेषाधिकार, रियायत, न्यासीय या अन्यथा प्राप्त करना जिसे सोसाइटी उक्त व्यवस्थाओं और अधिकारों, विशेषाधिकारों और रियायतों को अभिप्राप्त करने और पूरा करने, प्रयोग करने और अनुपालन करने के लिए वांछनीय समझती हो।
च. सोसाइटी की सुविधा और प्रयोजन के लिए भवनों को निर्मित, निर्माण, अनुरक्षण, मरम्मत, परिवर्तन, सुधार या उसे बढ़ाना या सज्जित करने का अधिकार होगा।
छ. संस्थान को सोसाइटी के उद्देश्यों को बढ़ाने के लिए किसी स्थायी निधि या न्यासी धन या दान का भार अपने ऊपर लेने और उसके प्रबंध को स्वीकारने का अधिकार होगा।
ज. ऐसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को जिन्हें सोसाइटी के प्रयोजना से अपेक्षित समझा जाए, अस्थायी या स्थायी रुप से नियुक्त करने या काम पर लगाने और उन्हें या अन्य व्यक्तियों को सोसाइटी के लिए की गई सेवाओं के प्रतिफल के लिए वेतन, मजदूरी, मानदेय, फीस, उपदान, भविष्य निधि और पेंशन का भुगतान करने का अधिकार होगा।
झ. बधिरों के कार्यक्षेत्र में उपलब्ध विशेषज्ञता को आगे बढ़ाने और मानदेय के भुगतान सहित या उसके बिना अपेक्षित तकनीकी और परामर्शी सेवाएं प्रदान करने का।
ञ. सोसाइटी के कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि और अन्य लाभों की व्यवस्था करने का।
ट. सोसापटी के उद्देश्यों को बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को पुरस्कार, इनाम, छात्रवृत्ति, शिक्षावृत्ति और वजीफा देने का।
ठ. अनुदान/दान और अन्य अंशदान प्राप्त करने और स्वीकृत करने का अधिकार सोसाइटी के पास होगा।
14. भारत सरकार संस्थान के कार्य और उसकी प्रगति समीक्षा करने और उसकी गतिविधियों की जांच पड़ताल करने के लिए एक या एक से अधिक व्यक्तियों को नियुक्ति कर सकती है और इसके आधार पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से रिपोर्ट देगा और ऐसी किसी रिपोर्ट के प्राप्त होने पर, भारत सरकार ऐसी कार्रवाई और ऐसे निदेश जारी कर सकती है जिसे वह रिपोर्ट से सम्बन्धित किन्हीं मामलों के बारे में आवश्यक समने और संस्थान उक्त निदेशों का अनुपालन करने के लिए बाध्य होगी।
14.1 भारत सरकार समय समय पर संस्थान को ऐसे निदेश देगी जो संस्थान के लिए उपयुक्त हों और ये संस्थान के लिए बाध्यकारी होगें ।
14.2. संस्थान पुरुष या महिला, चाहे वह किसी भी प्रजाति, पन्थ, जाति या वर्ग का हो या की हो, के लिए खुला रहेगा और संस्थान के प्रशिक्षणार्थियों/विद्यार्थियों को प्रवेश देते हुए या सदस्यों, शिक्षकों और अन्य तकनीकी/गैर तकनीकी स्टॉफ को संस्थान में नियुक्ति देते हुए धार्मिक आस्था या पेशे की कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी या इसके सम्बन्ध में कोई शर्त नहीं लगाएगी।
14.3 सोसाइटी ऐसा कोई भी लाभ स्वीकार नहीं करेगी जिसमें इसके विचार से सोसाइटी की चेतना और लक्ष्यों का विरोध करने वाली शर्तों या बाध्यता है।
14.4 यदि भारत सरकार इस बात से सन्तुष्ट हो जाती है कि संस्थान उचित रूप से कार्य नहीं कर रहा है तो भारत सरकार को संस्थान के प्रशासन का भार अपने ऊपर लेने और इस प्रयोजना के लिए प्रशासक नियुक्त करने का अधिकार होगा। उस आदेश के जारी रहने की अवधि के दौरान महासभा और कार्यपरिषद स्थगित रहेगी और महासभा और कार्यपरिषद के सभी अधिकार प्रशासक में निहित होंगे।
15. उप-नियम
क. भारत सरकार की पूर्वानुमति से सोसाइटी को अपने कार्यों के प्रशासन और प्रबन्ध के लिए संगठन ज्ञापन और इन नियमों से संगत उपनियम बनाने और उनको संशोधित करने का अधिकार होगा।
ख. पूर्ववर्ती उपबंध की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना उक्त विनियमों में निम्नलिखित विषयों के लिए भी उपबंध है।
ग. बजट प्राक्क्लन तैयार करने और उसकी सस्वीकृति देने, खर्च मंजूर करने, ठेका करने और उसे निष्पादित करने.. सोसाइटी को निधियों का निवेश और और उक्त निवेश की बिक्री या परिवर्तन और लेखों और लेखापरीक्षा
घ. समय-समय पर गठित की गई उक्त समितियों या सलाहकार पैनलों के अधिकार कार्य और कारोबार का संचालन,
ङ. सोसाइटी के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति की कार्यविधि, शर्ते और पदावधि, परिलब्धियां, भत्ते नियमावली अनुशासन तथा सेवा की अन्य शर्ते निर्धारित करने ।
च. छात्रवृत्तियां, शिक्षावृत्तिया और प्रतिनियुक्तिया, सहायता अनुदान, अनुसंधान योजनाओं और परियोजनाओं को शासित करने वाली शर्ते और क्षेत्रों और अन्य केन्द्रों में संदर्भ पुस्तकालय और प्रलेखन केन्द्र स्थापित करना ।
छ. ऐसे विषय निर्धारित करना जो सोसाइटी के उद्देश्यों को बढ़ाने और सोसाइटी के कार्यकलाप के उथित प्रशासन के लिए आवश्यक समझे जाए।
16) गणपूर्ति
16.1 महासभा की बैठक या महासभा की विशेष बैठक में महासभा के 25% सदस्यों से कोरम पूरा होगा।
16.2 कार्य परिषद की बैठक में कार्य परिषद के 50% सदस्यों से कोरम पूरा होगा।
16.3 यदि महासभा या कार्य परिषद की किसी बैठक में कोरम पूरा नहीं होता तो उस बैठक को सभापति अधिकारी द्वारा निर्धारित की गई तारीख तक स्थगित रखना होगा। यदि किसी स्थगन बैठक का कोरम पूरा नहीं होता तो उपस्थित सदस्य ही उसका कोरम होंगे।
16.4 महासभा या कार्य परिषद के प्रत्येक सदस्य को, यथास्थिति, सदस्यों की नवीनतम पंजिका में उल्लिखित पते पर या तो व्यक्तिगत रुप से जाकर या डाक के माध्यम से डाक प्रमाणित लिखित नोटिस भेजा जाएगा।
16.5 डाक द्वारा इस प्रकार से भेजे गए नोटिस को विधिवत रुप से दिया गया समझा जाएगा और ऐसी सेवाए उपलब्ध कराते हुए, यह देखना पर्याप्त होगा कि उक्त नोटिस भेजनेवाले लिफाफे पर उचित रुप से पता लिखा गया था और डाक प्रमाणित नोटिस के साथ डाक में भेजा गया है।
16.6 किसी सदस्य द्वारा महासभा या कार्य परिषद की बैठक का नोटिस प्राप्त न होने पर बैठकों की कार्यवाही अविधि मान्य नहीं होगी ।
16.7 महासभा परिषद की बैठक की सूचना को न्यूनतम अवधि निम्न होगी-
(क) महासभा की वार्षिक बैठक के लिए- 21 दिन
(ख) महासभा की विशेष बैठक के लिए- 14 दिन
(ग) कार्यकारी परिषद की बैठक के लिए- 14 दिन
(घ) कार्यकारी परिषद की विशेष बैठकों के लिए- 7 दिन
16:8 यदि महासभा या कार्यकारी परिषद के सदस्यों के बीच बैठक के समय किसी बात को लेकर मतभेद हो जाता है तो अधिकांश व्यक्तियों को राय मान्य होगी। महासभा के या कार्यकारी परिषद के सहयोजित सदस्यों और प्रधान से इतर प्रत्येक सदस्य, यथास्थिति, का एक बोट होगा और यदि किसी प्रश्न पर एक समान वोट पड़े तो सभापति अधिकारी को इसके अतिरिक्त निर्णायक वोट देने का अधिकार होगा।
17. सदस्यता सूची
17.1 संस्थान सदस्यों और उनके पते तथा व्यवसाय के सम्बन्ध में सूची रखेगा।
18. परिचालन द्वारा प्रस्ताव ।
18.1 किसी भी कार्य, जिसके विषय में अध्यक्ष यह मानता है कि मामला अत्यावश्यक है और इसके लिए निकट भविष्य में कार्य परिषद की बैठक बुलाना असम्भव है, तो कार्य परिषद के सभी सदस्यों के बीच इसे परिचालित करके पारित कराया जा सकता है और उक्त प्रस्ताव उसी प्रकार से प्रभावकारी और बाध्यकारी होगा जैसे कि कार्य परिषद की बैठक में पारित कराए जाने से होता ।
19. सामान्य
19.1 संस्थान की ओर से निदेशक द्वारा अध्यक्ष से परामर्श करके सोसाइटी द्वारा बनाए गए वित्तीय उपविधियों में परिभाषित नियमानुसार निष्पादित किए जाएंगे।
19.2 धारा 6 या सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, जो संघ राज्य क्षेत्र, दिल्ली पर लागू होता हो, के प्रयोजनासे, वह व्याक्ति, जिसके नाम में संस्थान मुकदमा चलाएगा या चला सकता है, संस्थान का निदेशक होगा।
20. आय और सम्पत्ति ।
20.1 सोसाइटी द्वारा किसी भी तरह से प्राप्त की गई आय और सम्पत्तियों को, ज्ञापन में बताए गए सोसाइटी के उद्देश्यों के संवर्धन के लिए, प्रयुक्त किया जाएगा। वह जो भारत सरकार द्वारा समय समय पर उनके द्वारा किए गए खर्च और दिए गए अनुदान के सम्बन्ध में लगाई गई शर्तों के अतिरिक्त होगा। सोसाष्टी की आय और सम्पत्ति के भाग का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से लाभांश, बोनस या अन्यधा किसी तरीके से भुगतान या अन्तरण नहीं किया जाएगा। किसी भी तरह ऐसे व्यक्तियों को जो किसी समय सोसाइटी के सदस्य थे या है या उनमें से किसी को या उनके माध्यम से दावा करने वाले किसी व्यक्ति को या उनमें से किसी को भी लाभ के रूप में अदायगी की जा सकती है बशर्ते कि उसमें ऐसा कुछ न हो। जो उसके किसी सदस्य की या संस्थान के किसी अधिकारी को सोसाइटी के लिए की गई किसी सेवा के बदले में मानदेय या पारिश्रमिक यात्रा भत्ता, विराम भत्ता वा अन्य समान प्रभारों की अदायगी करने से रोकती है।
तथापि यदि, सोसाइटी का कोई सदस्य संसद का सदस्य है तो उसे संसद (निरर्हता निवारण) अधिनियम, 1959 में दिए गए अनुसार केवल तबतक प्रतिपूरक भन्ने का भुगतान किया जाएगा जब तक कि वह संसद का सदस्य नहीं रहता ।
21. संगठन ज्ञापनों और नियमों तथा विनियमों में परिवर्तन ।
क. जब कभी संस्थान की महासभा को ऐसा लगे कि रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 की धारा 12 में विनिर्दिष्ट उक्त प्रयोजन या अन्य प्रयोजनों के लिए इसमें परिवर्तन करना, उन्हें बढ़ाना या कम करना वांछनीय है तो महासभा, केन्द्रीय सरकार का पूर्वानुमोदन लेकर, संस्थान के सदस्यों को लिखित प्रस्ताव या मुदित रिपोर्ट प्रस्तुत और नियमों और विनियमों के अनुसार इसके मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए विशेष साधारण बैठक आयोजित करेगा। उक्त प्रस्ताव तब तक अनुमोदित नहीं समझ जाएगा जब तक उक्त रिपोर्ट इसके मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए महासभा द्वारा बुलाई गई विशेष आम बैठक की तारीख से दस दिन पहले संस्थान के प्रत्येक सदस्य को रजिस्ट्री डाक से पहुंचा या भेज न दो गई हो और जब तक उक्त प्रस्ताव को उन सदस्यों द्वारा, जो ऐसा करने के हकदार हैं, प्रस्ताव के पक्ष में डाले गए मतों द्वारा मंजूर कर दिया गया हो और ऐसे मत व्यक्तिगत या परोक्ष रुप से इसके लिए हकदार परोक्षी प्रतिनिधि द्वारा सदस्यों के 3/5 से अधिक हो और बाद में पहली बैठक की तारीख से एक महीने के अन्दर विशेष आम बैठक में उसी प्रकार के बहुमत या वोट से पुष्टि करा ली गई हो।
ख. जब कभी संस्थान की महासभा को ऐसा लगे कि अधिनियम के अर्थ में उक्त प्रयोजन या अन्य प्रयोजनों में परिवर्तन करना, उन्हें बढ़ाना या कम करना या उक्त सोसाइटी को अन्य किसी सोसाइटी के साथ पूर्णतः या अंशत मिलाना वांछनीय हो तो महासभा संस्थान के सदस्यों को लिखित प्रस्ताव या मुद्रित रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा और नियमों और विनियमों के अनुसार इसके मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए एक विशेष बैठक आयोजित करेगा। लेकिन उक्त प्रस्ताव तब तक लागू नहीं होगा जब तक उक्त रिपोर्ट इसके मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए शासी निकाय द्वारा आयोजित की गई विशेष बैठक की तारीख से दस दिन पूर्व संस्थान के प्रत्येक सदस्य के पास पहुँचाई या डाक द्वारा भेजी नहीं जाती या जब तक उक्त प्रस्ताव को व्यक्तिगत रुप से या परोक्षी प्रतिनिधि द्वारा सदस्यों के 3/5 मतों द्वारा भेजी नहीं जाती या जब तक उक्त प्रस्ताव को व्यक्तिगत रुप या परोक्षी प्रतिनिधि द्वारा सदस्यों के 3/5 मतों द्वारा स्वीकृति न दे दी जाए और पिछली बैठक के बाद एक माह के अन्तराल में शासी निकाय द्वारा आयोजित की गई दूसरी विशेष बैठक में सदस्यों के 3/5 मतों द्वारा पुष्टि न कर दी जाए।
22. महासभा / कार्य परिषद के पदधारियों और सदस्यों की सूची प्रत्येक वर्ष में एक बार सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 की धारा- 4 के अधीन जैसा अपेक्षित हो सोसाइटी रजिस्ट्रार दिल्ली के पास जैसाकि संघशासित क्षेत्र, दिल्ली में लागू होता है, फाइल की जाएगी।
23. सोसाइटी के ज्ञापन में अन्य किसी प्रकार का संशोधन, सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 को धारा 12 और 12 (क) के अनुसार जैसा कि संघ शासित में लागू होता है, किया जाएगा।
24. यदि सोसाइटी का विघटन करना आवश्यक हो तो इसका विघटन सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 की धारा 13 और 14 के अधीन निर्धारित किए गए उपबंधों के अनुसार, जैसा कि संघ शासित क्षेत्र, दिल्ली पर लागू होता हो, किया जाएगा।
25. परिसमापन करना ।
25.1 सोसाइटी का परिसमापन करने या उसके विघटन के बाद यदि सभी ऋणों और देवताओं का भुगतान करने के बाद यदि कुछ संपत्ति शेष रह जाती है तो सोसाइटी के सदस्यों के बीच या उनमें से किसी को उसका न तो भुगतान किया जाएगा या नही उसका संवितरण किया जाएगा और उस पर सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 में उपबंधित तरीके से कार्रवाई की जाएगी।
सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1860 के सभी उपबंध इस सोसाइटी पर लागू होंगे।